Friday, May 13, 2011

आज बाई आई है

आज मेरा दिन बन गया
आज बाई आई है
घर सज गया, खाना बन गया
आज बाई आई है
कपडे धुल गए, तह हो गए
आज बाई आई है

आज करीब एक हफ्ते के दुःख के बाद बाई आई और हमारे घर में खुशियों की बहार छा गयी। ना ही कपडे धोने की टेंशन न खाना बनाने की। मैं घर आया तो देखा सब कुछ बदल चुका था। इतनी ख़ुशी है की काफी कुछ लिखने का मन है, लेकिन थकान इतनी की हिम्मत नहीं होती..सुबह ५:३० का उठा हुआ हूँ। कैट जो ना कराये सो थोडा है।
आज क्लास में थोड़ी लग गयी मेरी, कोई competitor मिल गयी है मुझे। दो सवाल ऐसे आये जो मैंने बार बार गलत सोल्व किये। मैं ये सोच के संतुष्ट था की, ठीक है किसी का भी answer नहीं आ रहा है तो question ही फाडू होगा। लेकिन फिर उस बंदी ने मुंह खोला और दोनों answer सही बता दिए। मेरी इतनी फटी सिर्फ उसकी आवाज़ से, उस कांफिडेंस से, की मेरी हिम्मत ही नहीं हुई की उसको पलट के देखूं। खैर ऐसे देखना भी awkward लगता। पूरे रास्ते मैं इसी टेंशन में था, एक बंदी ने क्लास में मेरी supremacy की धज्जियाँ उड़ा दी थी..वो भी quant की क्लास में।

मुझे ऑफिस जाने के लिए आजकल २ ट्रेन बदलनी पड़ती है। सुख के दिन अब ख़त्म होते दिख रहे हैं। वो सुबह की ऑफिस की बस का आराम अब लोकल के धक्कों ने ले लिया है। But it is fun! My office is cool. SEZ में काम करने का अपना ही मज़ा है। बड़ा compound बड़ी बड़ी बिल्डिंग, बीच में हरियाली..awesome..आज मुझे कंप्यूटर भी मिल गया। पिछले २ दिन से मैं सिर्फ किताबो में टाइम काट रहा था..Now I've a PC to work on and I must say some actual work is lined up for months to come.
I'd given ASDA yesterday and as the result says..I've cleared it.

6 comments:

रवि रतलामी said...

आज मेरा दिन बन गया
आज बाई आई है
घर सज गया, खाना बन गया
आज बाई आई है
कपडे धुल गए, तह हो गए
आज बाई आई है


आज के जमाने की सर्वाधिक, स्वयंसिद्ध प्रायोगिक और सर्वथा मौलिक कविता!

बंधु, जय हो.

VICHAAR SHOONYA said...

साहब बेहतरीन रचनाकार वो है जो दूसरों को भी कुछ रचाने की प्रेरणा दे. आपसे ही प्रेरणा लेकर मैंने भी कविता लिखने का प्रयास किया है , गौर फरमाएं...


आज मेरा दिन बन गया

बाबूजी घर पर नहीं हैं.


प्रोग्राम बन गया, दोस्त आ गया

बाबूजी घर पर नहीं हैं.

मेज सज गया , बोतल खुल गयी

बाबूजी घर पर नहीं हैं.

VICHAAR SHOONYA said...

kaisi lagi :))

देवेन्द्र पाण्डेय said...

बहुत बढ़िया।

मैने भी लिखा था कभी..कुछ ऐसा था..

आज का दिन तो बड़ा न्यारा है
आज बिजली भी है पानी भी
घर में आईी है बाई भी
ऐसा लगता है सब हमारा है
आज का दिन तो बड़ा प्यारा है...

Akhil said...

Sweet and simple :-)
Keep writing bro. You are growing as a writer

Vaibhav Jain said...

bhai.. kaha kaha se visitors aa rahe hain ajkal to.. chhaa gaye tum to ;)